क्या दिल ने कहा ......
रचना : जितेन्दर नाथ
1) नींद मेरी चुराकर ..........चैन से वो सोते हैं !
हमने पूछा कैसे हैं आप
वो मुस्कारा कर पलके झुकाकर कहते हैं !
हम आपके हैं , कौन
2) न तुझे अहसास हैं , न मुझे अहसास हैं
दूर हॊकर भी तू दिल के कितने पास हैं !
ये कैसा अहसास हैं , न भूख लगे न प्यास हैं
ज़िन्दगी कहती हैं , ये दोस्त मोहब्बत ही ज़िन्दगी की आस हैं!
तभी तो कहें , जब तक नाम न ले उनका होंटों पर
दिल में न जाने कैसी बैचनी हैं , और मन क्यों उदास हैं!
लगता हैं येही प्यार का मीठा अहसास हैं
तू मेरे लिए और में तेरे लिए ख़ास हैं !
न तुझे अहसास हैं , न मुझे अहसास हैं
3. दिन ढलता हैं , रात आती हैं
हरपल तेरी याद सताती हैं
कब रात आती हैं , कब रात जाती हैं
पता ही नहीं चलता , जब तेरी बात आती हैं
रचना : जितेन्दर नाथ
1) नींद मेरी चुराकर ..........चैन से वो सोते हैं !
हमने पूछा कैसे हैं आप
वो मुस्कारा कर पलके झुकाकर कहते हैं !
हम आपके हैं , कौन
2) न तुझे अहसास हैं , न मुझे अहसास हैं
दूर हॊकर भी तू दिल के कितने पास हैं !
ये कैसा अहसास हैं , न भूख लगे न प्यास हैं
ज़िन्दगी कहती हैं , ये दोस्त मोहब्बत ही ज़िन्दगी की आस हैं!
तभी तो कहें , जब तक नाम न ले उनका होंटों पर
दिल में न जाने कैसी बैचनी हैं , और मन क्यों उदास हैं!
लगता हैं येही प्यार का मीठा अहसास हैं
तू मेरे लिए और में तेरे लिए ख़ास हैं !
न तुझे अहसास हैं , न मुझे अहसास हैं
3. दिन ढलता हैं , रात आती हैं
हरपल तेरी याद सताती हैं
कब रात आती हैं , कब रात जाती हैं
पता ही नहीं चलता , जब तेरी बात आती हैं
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